गुरप्रीत का ऐसे मे मां बनना, सबके लिए फिक्र वाली बात हो गई थीं,घरवालों का और पति का अब तक कुछ पता नहीं था,सब बहुत बड़े सदमे आ गए थे।। शाम होने को थीं, दूसरी कोठरी अभी बनी नहीं थी,हलकी गुलाबी ठंड वाला मौसम था,गुरप्रीत कोठरी में आराम कर रही थीं,इम्तियाज भी गुरप्रीत के साथ ही बगल मे लेटा था,करें भी एक साल का बच्चा जो ठहरा वो गुरप्रीत को ही अब अपनी समझने लगा,तभी गुरप्रीत उठी और बाहर आकर चूल्हा सुलगाने लगी,फात़िमा ने गुरप्रीत को बाहर देखा तो पास आकर बोली।। तू बाहर क्यों आई? सोच