कलमकार हूँ 

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"मैं एक खुली किताब हूँ तुम जितना मुझे पढ़ोगे पन्नों की तरह तुम मुझमे सिमटते जाओगे हा मैं एक खुली किताब हूँ।" नमस्कार, मित्रों कैसे है आप। बस सोची बहुत दिन हो गया बातचीत हुए,किसी ने पूछा कौन है आप। क्या करती है। स्वाभाविक है लड़की हु तो लोग तो पूछेंगे ही। तो थोड़ा बतला दू मैं आपको आज अपने बारे में! मेरे नाम से तो खूब भलीभांति परिचित है आप।अब मैं कहा कि रहने वाली हु तो मैं उस नगरी की हूं जहाँ स्वछंद रूप से तीन नदियों का अनोखा संगम हो रहा है। पूरा शहर शांत वातावरण में