मुखौटा - 2

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मुखौटा अध्याय 2 "मैं किसी से तुम्हारी जान पहचान कराती हूं।" "अभी मैं शांति से हूं । मेरी शांति तुम्हें पसंद नहीं क्या सुभद्रा ? जरा बताना तो मेरे चेहरे पर हंसी नहीं है क्या ?" "यह तुम्हारा अपना पहना हुआ मुखौटा है। अपने को धोखा देने के लिए हंसती हो।" अब तो यह याद करके भी अचंभा होता है। मेरी पूर्वजों के जींस से यह हंसी मुझे मिली हुई है। सुंदरी बुआ की हंसी। सुंदरी बुआ की आयु अम्मा के बराबर ही होगी । सुंदर, अति सुंदर ! साथ ही उतना ही मीठा गाने वाली महिला। शादियों में नाचते