छूटा हुआ कुछ डा. रमाकांत शर्मा 9. आजकल उमा जी का टीवी खोलने का मन बिलकुल नहीं करता था। हां, वे काम करते समय या पढ़ते समय रेडियो चला लेतीं। पुराने गाने सुनना उन्हें हमेशा से अच्छा लगता रहा था, पर अब ये गाने उन्हें और भी अच्छे लगने लगे थे। गाने तो वही थे, पर अब उनके अर्थ उमा जी को अच्छी तरह समझ में आने लगे थे। वे सोचतीं, जिन्होंने भी ये गाने लिखे हैं, भावनाओं में डूब कर लिखे हैं, तभी उनके बोल सुनने वाले के दिल के भीतर तक उतर जाते हैं। कभी-कभी वे स्वयं भी