जीवन की कहानियां - एक नई यात्रा ?

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एक नई यात्रा दिसम्बर की स्याह सर्द रात प्रकृति के कोने-कोने में पसर चुकी थी । उसने अपने आप को गर्म शाल के अंदर गठरीनुमा बांध लिया था । रेल्वे प्लेटफार्म पर बिखरे लगेज और ठण्ड के मारे चादरों और गर्म कपडों में दुबके प्रतीक्षारत यात्री एक से दिखते थे । आज 25 तारीख है । उसने अलसाई सी हाथ पसारे घड़ी पर नजर डाली - दो बजने को दस मिनिट । अरे ! अब तो 26 तारीख हो चली । 25 दिसम्बर को गुजरे एक घण्टा पैंतालीस मिनिट हो गया । उसे लगा समय के दरिया में बहते किसी यात्री तिनके सी