पूर्णता की चाहत रही अधूरी - 20 - अंतिम भाग

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पूर्णता की चाहत रही अधूरी लाजपत राय गर्ग बीसवाँ अध्याय नीलू को कॉलेज आये अभी एक हफ्ता ही हुआ था कि एक दिन जब शाम को वह हॉस्टल पहुँची तो उसे अपने नाम डाक से आया एक लिफ़ाफ़ा मिला। भेजने वाले का कोई नाम-पता नहीं लिखा था। भेजने वाले पोस्ट ऑफिस की स्टैम्प शिमला की थी। उसने लिफ़ाफ़ा फाड़कर पत्र निकाला। पत्र दो पंक्तियों का था - नीलू, तुझे शायद अभी तक पता नहीं होगा, मीनाक्षी तेरी बड़ी बहिन नहीं बल्कि मम्मी है। तू मीनाक्षी की नाजायज औलाद है। - कैप्टन प्रीतम सिंह। ‘नाजायज औलाद’ को रेखांकित किया हुआ था।