यादों का सफ़र - 2

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इसी तरह हमरी कभी कभी बात होने लगी।कहते है बात करने से ही बात बड़ जाती है, और एसा ही कुछ होने लगा, एक ऐसा इन्सान जिसको मै जानती भी नहीं इक नाम जिसे पूरा भी ना बताया गया है फिर भी मुझे एक भरोसा होता जा रहा है, ये ऐसा समय है जिसमें मै खुद को भी समझ नहीं पा रही, जब भी सोचती की इस बार बात की जब कुछ पूछ लूंगी कोन कहा से है? लेकिन जब होती है ना जाने मै कुछ भी पूछ नहीं पाती।मुझे जरूरत भी क्या ज्यादा कुछ पूछने की क्या करूंगी पूछ