दह--शत - 23

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एपीसोड –२३ शाम को वह साफ़ महसूस कर रही है अभय व उसकी साँसों में तनाव उनके घर में आने के साथ आ घुसा है। वह शाम को बैडरूम में रखी अलमारी में कपड़े ठीक कर रही हैं। अभय डबल बैड पर पीठ से तकिया टिकाकर बैठ गये हैं, “मुझे तुमसे बात करनी है।” “हाँ, कहिये।” “मेरे पास आकर बैठो।” वह हल्की डरी हुई उनके पैरों की तरफ बैठ गई है जैसे उसने ही अपराध किया है। “मैं जब ऑफ़िस जा रहा था तो तुम क्या कह रही थी?” “कब?” “इतनी जल्दी भूल गई?” “ओ ऽ ऽ .... मैं तुम्हें