कोरा कागज

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बारिश थी कि रुकने का नाम नहीं ले रही थी।आकाश में बिजली चमक रही थी,बादल गरज रहे थे।शाहीन ने घड़ी पर नजर डाली तो देखा रात के बारह बज रहे हैं।पर नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी।आकाश के बादलों की तरह उसके मन में भी विचारों का बबंडर मचा हुआ था।बहुत चाहा कि नींद आ जाए।अतः वह विचारों को परे छिटक नींद का उपक्रम करने लगी। पर मन में यदि तूफान मचा हो तो नींद कैसे आ सकती है। आज उसे अपने पापा की बहुत याद आ रही थी एक पापा ही तो थे जो उसे प्यार करते थे।