चार बीघा खेत

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दल थम्हन शुकुल ने जैसे ही जलेबी को दही में लपेटा था कि मोबाइल बज उठी..अनमने होकर जलेबी को दोने में रखा और मोबाइल निकाला..अन्दाजा सही निकला..फोन बड़े बेटे का ही था..आज सभी बेटों ने फोन किया था"हलो..!" दल थम्हन की आवाज से आज चाश्नी गायब थी" ये का किये बप्पा..? खेतों के एक एक कोन और मेढ़ को जहां आप दुलराते नही अघाते थे उसी को बेंच दिया..?"दल थम्हन शुकुल के खेतों की मेढ़ तीर माफिक बिल्कुल सीधी रहती थी और कोन भी बड़े सलीके से वे गोड़ते थे..खेतों के प्रति उनका प्रेम अगाध था..बच्चों के पालन-पोषण, पढ़ाई-लिखाई,शादी-विवाह के