“बदनुमा दाग”वो एक लाइब्रेरीनुमा कमरा था। मैंने कमरे को हैरत भरी निगाह से देखा। इतनी सारी किताबें किसी के घर पर पहली बार देख रही थी। इतनी किताबें तो पढ़ते हुए कॉलेज की लाइब्रेरी में ही देखी थी।मैंने एक सोफ़े की कुर्सी पर कब्जा जमा लिया था। तभी एक छोटी सी बच्ची कमरे में दाखिल हुई। "गुड इवनिंग मैडम।-उसने बड़ी दबी सी आवाज में कहा।कॉपी, किताब उसके हाथ में थी। मैंने उसे बैठने का इशारा किया।निखिल के जाने के बाद घर का खर्च चलाने के लिए ट्यूशन करना मेरी मजबूरी थी। ट्यूशन के साथ ही बच्चो की परवरिश कर सकती