सच क्या था!

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आधी रात को सिसकियों की आवाज से तृषा की नींद टूट गयी थी |उसने ध्यान से सुना तो लगा कोई धीमे स्वर में रो-रोकर कुछ कह रहा है |उसने अपनी बगल में देखा सलीम वहाँ नहीं थे |इतनी रात को वे कहाँ गए ?और ये रोने की आवाज किसकी है और कहाँ से आ रही है |वह दबे पाँव उठी और आवाज की दिशा में बढ़ी |आवाज स्टोर-रूम से आ रही थी |भीतर से हल्की –सी रोशनी दरवाजे की झिरियों से झांक रही थी ,पर दरवाजा बंद था |तो अंदर सलीम ही हैं पर वे रो क्यों रहे हैं ?उसे दरवाजा खटखटाना उचित नहीं लगा |दूसरी तरफ रोशनदान थी |उसने स्टूल पर