श्रीमद्भगवतगीता (आरती)~~~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~ ?आरती गीता जी की?करो आरती गीता जी की।।जग की तारण हार त्रिवेणी, स्वर्गधाम की सुगम नसेनी।अपरम्पार शक्ति की देनी, जय हो सदा पुनिता कीज्ञानदीन की दिव्य-ज्योतिमां, सकल जगत की तुम विभूति मां।महा निशातीत प्रभा पूर्णिमा, प्रबल शक्ति भी भीताकी।। करो.अर्जुन की तुम सिदा दुलारी, सखा कृष्ण की प्राण प्यारी।षोडश कला पूर्ण विस्तारी, छाया नम्र विनीता की।। करो..श्याम का हित करने वाली, मन का सब मल हरने वाली।नव उमंग नित भरनेवाली, परम प्रेरिका कान्हा की।। करो..~~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~ ?आरती श्री गणेश जी की?जय गणेश