गवाक्ष - 14

  • 5.1k
  • 1.8k

गवाक्ष 14 निधी के चेहरे पर प्रश्न पसरे हुए थे, ह्रदय की धड़कन तीव्र होती जा रही थी। कुछेक पलों पूर्व वह अपनी साधना में लीन थी और अब---एक उफ़नती सी लहर उसे भीतर से असहज कर रही थी । परिस्थिति का प्रभाव व्यक्ति के मन और तन पर कितना अद्भुत रूप से पड़ता है ! वह खीज भी रही थी, अपना उत्तर प्राप्त करने के लिए उद्वेलित भी थी और उसके समक्ष प्रस्तुत ‘रूपसी बाला’ केवल मंद -मंद मुस्कुराए जा रही थी । निधी की साधना का समय अभी शेष था और वह न जाने किस उलझन मेंउलझ गई थी । अपना नाम बताओ और अपने यहाँ आने का