मैं समझ नहीं पा रही थी कि संचय को हो क्या गया है,वह मेरे सामने दूसरे युवा,सुंदर पुरूषों की प्रशंसा क्यों करता रहता है?क्या उसको अपनी कमियों का अहसास है?पर मैंने तो कभी उसके रूप -रंग ,उम्र के लिए उसे कुछ नहीं कहा।कहती भी क्यों ,मैंने ही तो उसे चुना था।जो चीज मनुष्य के हाथ में नहीं, उसके लिए उसे दोषी ठहराना न्यायसंगत भी तो नहीं।फिर संचय ऐसा क्यों कर रहा है?क्या उसे यह पता चल गया है कि हर स्त्री के सपने का राजकुमार आकर्षक और युवा पुरूष ही होता है। पर अब क्यों ?उम्र के ढलान पर उसे