दो लघुकथाए

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भटकाव " थोड़ी देर रुक कर जाना." जैसे ही वो निकलने को हुआ, कविता ने टोक दिया. " मैं फ्री हो चुका हुँ. अब रुकने की क्या जरुरत है ? " वह बोल तो गया फिर उसने कुछ सोचते हुए कहा, " आज कुछ काम है. मुझे थोड़ा जल्दी घर पहुंचना है ।" " हाँ ! जानती हूँ, बड़ा काम है और