समंदर और सफेद गुलाब तीसरा दिन 1 आज भी मैं सुबह सबसे पहले जग गया था लेकिन आज की सुबह कल की सुबह की तरह नहीं थी। कल जब मैं उठा था, तो मैंने मुम्बई की सुबह को अपने आगोश में भर लिया था जबकि आज मैं उस सुबह को जल्दी से जल्दी अलविदा कहना चाहता था। खैर, मैंने चाय बनाई और पीने लगा। चाय पीते-पीते मैंने देखा कि अनिल भी जग गया था। वह अपना बिस्तर लपेटने लगा था। अनिल ने मेरी तरफ देखते ही कहा, ‘डाक्टर आकाश आपको आपको याद है न, हमने आज मेरे उस दोस्त के