महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – तैंतीस आज ठंड ने कुछ ज्यादा ही जोर पकड़ लिया था। अखिल ने हीटर जलाया और पलंग पर बैठकर पत्रिका का फायनल प्रूफ देखने लगा। तभी किसी ने जोर से उसका दरवाजा भड़भड़ाया। इतनी रात कौन हो सकता है? साचते हुए अखिल ने दरवाजा खोला। दरवाजा खुलते ही देशी शराब का भमका उसके नथुनों से टकराया। अखिल ने देखा सामने जग्गा खड़ा था। उसके हाथ में एक पैकेट था। जग्गा को इतनी रात गये इस हालत में देख अखिल को थोड़ा अचंभा हुआ। जग्गा बिना पूछे सीधे कमरे में घुस आया। नशे के कारण उसके