लिस्टस्नेहा हमेशा की तरह घर की सफाई में मगन गुनगुनाती जा रही ....... "न चिठिया कोई संदेसा।" ... तभी अचानक सौरभ माँ-माँ चिल्लाता घर में आया और माँ को पकड़कर झूमने लगा | "अरे-अरे ! क्या हुआ ?" स्नेहा बोली| "माँ आज मन बड़ा खुश है , स्कूल जो बंद हो गए हैं|अब तो खूब घूमूँगा, सोऊँगा| अच्छा , लाओ मैं तुम्हारी मदद करा दूं|" सौरभ स्नेहा का हाथ बटाने में जुट गया| तभी ड्रेसिंग टेबल से जैसे ही स्नेहा ने पुराने पेपर हटाए तमाम परतों में से कुछ छोटी-छोटी यादों के पन्ने उड़कर गिरने लगे और सौरभ दौड़कर उड़ते हुए उन पन्नों