कुंती की समझ मे भी सुमित्रा जी की सलाह आ गयी थी शायद। गाँव पहुंचते ही उसने सबसे पहले ज़मीन के कागज़ात निकलवाये, दोनों लड़कों को बुलाया और अपने हिस्से की 35 एकड़ ज़मीन में से 15-15 एकड़ जमीन दोनों बेटों के नाम कर दी पांच एकड़ अपने लिए रख ली। मगर इस पूरी कार्यवाही ने भी कुंती के लड़कों- बहुओं-पोतों का हृदय परिवर्तन करने का काम न किया। ज़मीन हाथ में आते ही गाँव की 15-15 एकड़ ज़मीन बेच के उन्होंने वहीं शहरों में 5-5 एकड़ ज़मीन लेना उचित समझा। अब गांव से उनका एकदम ही नाता टूट गया।