पूर्णता की चाहत रही अधूरी लाजपत राय गर्ग तेरहवाँ अध्याय हरीश को यमुनानगर आये हुए अभी सात-आठ महीने ही हुए थे कि एक दिन उपायुक्त कार्यालय से उसे संदेश मिला कि डी.सी. साहब ने तत्काल बुलाया है। हाथ के काम बीच में ही छोड़ कर वह डी.सी. के समक्ष उपस्थित हो गया। अपने सामने खुली फ़ाइल को बंद करते हुए बिना किसी भूमिका के डी.सी. ने कहा - ‘मि. हरीश, सी.एम. साहब का आदेश आया है। उन्होंने तुम्हारे विभाग के ज़िम्मे पाँच लाख रुपये लगाये हैं। दो-चार दिन में यह राशि लाकर मुझे दे देना, मैं पहुँचा दूँगा।’ ‘सर, ज़िला