सैनिक

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ठण्ड और बढ़ती जा रही थी।भयंकर बर्फ के बीच अपनी पोस्ट पर मुस्तेदी से पहरा देते हुए रूपेश और अकबर पल भर के लिए भी आँख नही झपका सकते थे।"" आज वाक़ई में हाथ पैर जम् ही जायेंगे।""..रूपेश बोला,रात के करीब 12 बजने को थे। और दोनों सामने नज़र जमाये एक दूसरे को हिम्मत और दिलासा दे रहे थे।.... "हाँ यार लेकिन सैनिक का खून इतना गर्म होता है कि ये बर्फ भी उसके इरादों को नही जमा सकती'.""..... अकबर ने जोश से भरकर कहा।...कुछ देर खामोशी छाई रही फिर रूपेश ने चुप्पी तोड़ते हुये बोला......."" अकबर भाईजान, हम लोगो की