एक अप्रेषित-पत्र - 13

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एक अप्रेषित-पत्र महेन्द्र भीष्म एक रुपया ‘‘राम नाम सत्य है।'' ‘‘राम नाम सत्य है।'' सेठ राम किशोरजी की शवयात्रा में सम्मिलित दूसरोें के साथ मैंने भी दुहराया। स्वर्गीय सेठ रामकिशोरजी ग्यारहवीं कक्षा के मेरे सहपाठी अनूप के पिता थे। वह न तो वृद्ध थे और न ही वयोवृद्ध, बल्कि पचासेक बरस की उम्र के रहे होंगे। वह बीमारियों से दूर इकहरे शरीर के मालिक थे। मेरे अलावा उनकी मृत्यु को सभी काल की नियति मान रहे हैं। सच, वह बच सकते थे, सोलह आने। अनूप के अग्रज घुटे सिर, सफेद धोती बांधे, बाँए हाथ में आग की हाण्डी लिए अर्थी