घर की मुर्गी - पार्ट- 5

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वक़्त के साथ गौरी भी बड़ी होने लगी। और मैं बिल्कुल निःसहाय। जहाँ एक ओर बाकी घरवाले चैन की नींद सोते होते वही राशि ना तो नीद पूरी ले पाती ना ही आराम। उसके पूरे दिन की भूमिका महज कमरे से किचन,किचन से कमरा हो गया था। कभी कभी राशि जब किचन में खाना बनाती रहती तो तभी गौरी सो कर उठ जाती और उसे ना पाकर रोने लगती। ज्यो राशि किचन को जैसा तैसा छोड़ गैस को कम कर कमरे में गौरी के पास भागती त्यों ही उसे ध्यान आ जाता कि गैस बंद करना था और वो गैस