महामाया - 31

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महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – इकत्तीस काशा ने बाबाजी और सूर्यगिरी के साथ तहखाने के ऊपर बने कमरे में प्रवेश किया। कमरे के बीचों-बीच रखी चौकी पर प्रकाश का एक वृत्त बन रहा था। शेष कमरे में पूर्ण अंधकार था। काशा भारतीय परिधान में थी। उसने हल्के गुलाबी रंग की सिल्क की साड़ी पहनी थी। बालों को जूड़े की शक्ल में बांधा था। मोगरे के फूलों की वेणी लगायी थी। हाथों में पूजा की थाली थी। बाबाजी ने काशा को चौकी के सामने बिछे आसन पर बैठने का ईशारा किया। काशा ने पूजा की थाली नीचे रखी। फिर आलथी-पालथी लगाकर