मेरा बचपन चला गया

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भाभी आप हटो बाकी का काम मैं समेट लूंगी , इतनी साधारण सी बात संध्या को यूं लगी मानो किसी ने दिसंबर की भरी सर्दी में दो बाल्टी ठन्डा पानी उस पर डाल दिया हो,क्योंकि जो ननद कभी रसोई में झांक कर भी न देखती थी उल्टा संध्या को काम पर काम गिनाती थी वो आज अचानक इतनी मेहरबान कैसे हो गयी ? संध्या इसी उधेड़बुन में थी कि तभी उसकी सासू माँ उसके पास आकर बोलीं जल्दी से तैयार हो जाओ तुम्हारे घर चलना है। संध्या एक बार फिर स्तब्ध रह गयी कि जिन ससुराल वालों ने उसे इतनी