गुनाह

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इंसान जैसा बीज बोता है वैसे ही फल उसे काटने पड़ते हैं। जवानी में माया देवी ने गुनाह का जो बीज बोया था उसका फल उसके सामने था। आज जिंदगी के उस मोड़पर जब उसके जीवन का सूर्य कभी भी अस्त हो सकता है वह नितांत अकेली और बेसहारा है तो सिर्फ अपने कर्मों के कारण ।कहने को माया देवी दो बेटों और दो बेटी की माँ है लेकिन आज उसे माँ कहने वाला कोई नहीं था और थे भी तो उससे बहुत दूर ।माया और उसका पति अपने बुरे व्यवहार के कारण सब नाते रिश्तेदारों और आस पड़ोस में