दह--शत - 15

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दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड ---15 इन दिनों मौसम बहुत ख़राब चल रहा है । न बादल खुल के बरसते हैं, न हल्की रिमझिम बंद होती है । दिन भर काली-काली बदरियाँ चमकती रोशनी निगले रहती है । तीज के कार्यक्रम से दो दिन पहले इतवार को समिधा को पता नहीं क्या सूझा वह रोली व अभय से ज़िद कर बैठी, “रात को बाहर कुछ खायेंगे ।” रोली घर आती है तो ढीले-ढाले कपड़ों में घर पर आराम करने के व मॉम के हाथ का कुछ स्पेशल खाने के मूड में होती है इसलिए उसी ने हँगामा अधिक किया,