महामाया - 30

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महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – तीस अखिल जब राधामाई के कमरे में पहुंचा। कमरे में ब्लू जिंस पर मेंहदी रंग का टाॅप पहिने, खुले बालों को कंधों तक झुलाये एक लड़की कुछ लिखने में तल्लीन थी। कमरे में राधामाई को न देखकर अखिल वापिस लौटने ही वाला था कि लड़की ने धीरे से सिर ऊपर किया और मुस्कुराई। अखिल के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। वो जिसे कोई और लड़की समझ रहा था वो राधामाई थी। उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। ‘‘ऐसे आँखें फाडे़ क्या देख रहे हो? पहिले कोई लड़की नहीं देखी क्या?’’ राधामाई की