थोथा चना बाजे घना

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थोथा चना बाजे घना “हेलो अब्बा !”“हाँ हसना, क्या बात है ? आज तेरी आव़ाज इतनी भीगी-भीगी-सी क्यों लग रही है ?” सुनते ही हसना का बीसियों साल पुराना दुःख का फोड़ा जो सिर्फ़ उसकी अम्मी जानती थी, फुट पड़ा |वह फफक कर रो पड़ी| उसका रोना सुन फिकरमंद पिता की तरह उसके पिता भी मानो कराह उठे और पूछ बैठे |“क्या हुआ मेरी बच्ची तुझे; तू इतनी मायूस क्यों हो रही है ?” पिता की हमदर्दी पाकर हसना ने अपना आपा निकाल कर उनके आगे रख दिया |“इनका नशा करना अब बर्दास्त नहीं होता अब्बूSS |”“क्या कहा, हसन और नशा