एक अप्रेषित-पत्र - 11

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एक अप्रेषित-पत्र महेन्द्र भीष्म मग़रिब की नमाज ‘‘सुषमा! प्लीज.... देर हो रही है।'' “बस्स... दो मिनट.... अौर जज साहब।” “क्या सुषमा....? पिछले बीस मिनट से अभी तक तुम्हारे दो मिनट पूरे नहीं हुए?” मैंने रिस्टवाच में देखते हुए कहा। “ममा क्यों डैडी को तंग करती हो....।” उर्वशी मेरी पाँच साल की बेटी मेरे लिए हमदर्दी जताते बोल पड़ी। “लो भई.... हो गयी तैयार...।” सुषमा ने उर्वशी के गालों पर तेज चुम्बन जड़ते हुए कहा। “.... अौर जो मैं पिछले आधे घण्टे से....।” मैंने अपनी बारी न आते देख सुषमा को अपने गाल की अौर संकेत करते हुए कहा। “आप भी....”