जननम - 9

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जननम अध्याय 9 'लावण्या के बारे में क्या सोचती हो'ऐसा अम्मा से पूछने के लिए उसका मन हो रहा था। मां मुंह बंद करके बैठी रही। "अम्मा क्या सोच रही हो ?" उसने पूछा तो मंगलम धीरे से मुड़ कर उसे देख हंसी। "सब कुछ जैसे अविश्वसनीय कहानी जैसा है।" वह क्या वह पूछ ना सका । "उस लड़की का यहां आना पुरानी बातों को भूल जाना...." तुम्हारे मन को बदल देना ऐसे अम्मा ने नहीं कहा-परंतु सोचा होगा ऐसा लगता है। "कहानी सब सच की ही तो छाया होती है ? फिर सच और भी दिलचस्पी वाला नहीं होगा