अविश्वास

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कहते है बेचैनियो का कोई ठिकाना नहीं होता अपना ही दिल भाग जाना चाहता है अपनी बेचैनी से कहीं दूर कुछ एसा ही इन दिनों रश्मी साथ हो रहा कहने को आज सादी भले ही दो साल हो गए सादी लेकिन उसकी जिंदगी ये दो वरस बड़े मुश्किल से कटे, हर महीने एक नया तमाश खड़ा हो जाता। वैसे तो वो पढ़ी लिखी थी लेकिन उसकी जिंदगी जो उसे सिखा पड़ा रही है उन सारी पढाई यो पर भरी है। आज तो कुछ एसा हो गया कहने को ये normal बा त थी लेकिन ये normal नहीं हैलाख कोशिश के