अगले दिन राशि सुबह सुबह ही नहा धोकर नीचे आ गयी,मंदिर में हाथ जोड़ वो दो मिनट तक मम्मी जी को शांत हो कर देखती रही। शकुंतला जी गुनगुनाते अंदाज में फूलों की क्यारियों को ऐसे सींच रही थी मानो पूरे घर की देखभाल भी ऐसे ही कि हो। पापा जी बाहर गार्डन में बैठकर पेपर की वॉट लगा रहे थे,सालो के पास खबर कम अब विज्ञापन ज्यादा रहता है,मौसा जी भी हा में हा मिलाए पड़े थे और एक साथ बैठकर चाय की चुस्की के साथ भड़ास निकाल रहे थे। तभी मम्मी जी की नज़र मुझपर पड़ गयी