महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – सत्ताईस अनुराधा के आश्रम लौट आने से अखिल सबसे ज्यादा खुश था। अनुराधा ने ही उसे बताया था कि बाबाजी ने उसकी नौकरी छुड़वा दी है और यहीं उसके लिये एक नर्सिंग होम बनवाने वाले हैं। बाबाजी के इस प्रस्ताव से अनुराधा उत्साहित थी। अखिल और अनुराधा बात करते-करते ऊपर मंदिर जा में पहुंचे। वहाँ मड़ला महाराज पूरी मस्ती में डूबे गा रहे थे। ना जाने तेरा साहब कैसा है। मसजिद भीतर मुल्ला पुकारै, क्या साहब तेरा बहिरा है? चिउंटी के पग नेवर बाजे, सो भी साहब सुनता है। पंडित होय के आसन मारै, लंबी