अनजान रीश्ता - 38

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पारु पारुल ऐसे ही खयालों में डूबी हुई थी। वहां अविनाश के बारे में सोच रही थी। न जाने क्यों पारुल को ऐसा क्यों लग रहा था जैसे वह अविनाश को सालों से जानती हो। फिर भी अविनाश पारुल के लिए पहली की तरह था। पारुल जैसे ना चाहते हुए भी कुछ महसूस कर रही थी लेकिन वह समझ नहीं पा रही थी । दूसरी ओर सेम अपने मोबाइल में किसी के साथ बात कर रहा था । सेम कहता है सेम: हेय भाई..! भाई: सेम देखो अभी मैं शुट पर जा रहा हूं और शायद मुझे आने में देर