चुन्नी - अध्याय पाँच

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कॉलेज का पहला दिन। चुन्नी हर तरफ संसा के नजरो से देख था। हर चीज नई थी वहाँ, हर लोग नये थे। उपर से पहले कभी अकेले वो कही गया नही ना ही कभी अकेले रहा। माँ पापा हमेशा साथ होते थे।वहाँ अब वो अकेला था, जो बाजी करना था, जो भी अनुभव होना था सब अकेले। चुन्नी धीरे धीरे पीठ पर पिट्ठू झोला टाँगे आगे बढ़ रहा था। वो अपने कक्ष की तलाश कर रहा आगे बढ़ रहा था। एक गार्ड चुन्नी को ससंकित देख पूछा"कहाँ जाना है? ""फर्स्ट ईयर मे"चुन्नी घबराते हुए बोला। " तीसरे माले पर है चले जाओ। "गार्ड