जननम - 8

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जननम अध्याय 8 "आपके रहने से इस गांव को कैसा कष्ट ? मैं बार-बार कहता हूं लावण्या....! मरगथम, आज यहां कौन आया था ?" "वह शोक्कलिंगम साहब आए थे।" आनंद का चेहरा एकदम लाल हो गया। 'दी ब्लडी रोग..…इस उमर में चुपचाप हे राम न कहकर ठहर.... मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा।" "लावण्या ! यहां उससे क्या बात हुई ?" "ओह ! क्यों डॉक्टर यह सब ?" "मुझे सब मालूम होना ही चाहिए !" "इन सब बातों को दोहराने के बदले मेरा इस गांव से निकल कर जाना ही ठीक है लगता है।" उसे तेज गुस्सा आया। 'छी ! इस लड़की को विश्वास