कहानी ज़हरीले दाने आर.एन. सुनगरिया राज बार-बार दरवाजे तक जाते ही एक दृष्टि दूर रोड पर फैलाता, जिसे घोर अंधेरा निगल जाता। सिगरेट पर सिगरेट जलाकर फुक-फुक करने के बाद उसे बुरी तरह जूते से मसल देता है। जब उसे कुछ मिनट परेड करते हो जाते, तो वह एक-आधा प्याला देशी शराब का भी उपयोग कर लेता। घड़ी के डायल पर देखते हुये गुनगुनाया- उफ! साढ़े ग्यारह बज गये, अभी तक नहीं आई, ना जाने क्या हो गया कि साढ़े दस बजे अपने वादे पर ना आ पाई। आज पहली बार ही लेट हुई