भदूकड़ा - 52

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"मम्मी, देख लीजिए, मौसी का कमरा ठीक कर दिया है। कुछ और चाहिए, तो बताइएगा।" बहू की आवाज़ फिर सुमित्रा जी को ग्वालियर वापस ले आई। सोफे के हत्थों पर हाथ टेक के खड़ी होतीं सुमित्रा जी के पैरों में भी अब तक़लीफ़ रहने लगी है। "उम्र है तो अर्थराइटिस है, अर्थराइटिस है तो डॉक्टर हैं, डॉक्टर हैं तो दवाइयां हैं, दवाइयां हैं, तो मर्ज़ हैं...." पैर आगे बढ़ाते , दर्द महसूस करते अक्सर सुमित्रा जी यही लाइन मुंह ही मुंह में बुदबुदाती हैं। कमरा एकदम चकाचक कर दिया गया था। सब इंतज़ाम था लेकिन कुंती का पैर कहाँ टिकता