महामाया - 26

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महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – छब्बीस शाम को बाबाजी का संदेश मिला तो वो बाबाजी के कमरे की ओर चल दिया। बाबाजी भगवा रंग का गाउन पहने कमरे में एक ओर लगे रेकलाइनर पर बैठे थे। उनके पैर गर्म पानी के टब में डूबे थे। दो लड़कियाँ पूरी श्रद्धा से उनके पैरों की सफाई कर रही थी। अखिल दरवाजे पर ही रूक गया। बाबाजी ने उसके पैरों की आहट सुन आँखें खोली और स्नेह से कहा ‘‘आओ.....आओ।’’ अखिल नीचे फर्श पर बैठ गया। ‘‘यहाँ कोई परेशानी तो नहीं है बेटा’’ ‘‘जी....जी नहीं बाबाजी, पत्रिका के काम में ही लगा हूँ’’