दह--शत - 10

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एपीसोड --- १० घर में अभय की माँ है। अभय देर तक छत पर घूमते हैं। वह कुछ समझ नहीं पाती। रात को काम इतने होते हैं कि रात को अभय के साथ घूमना नहीं हो पाता । एक दिन शाम को सात बजे पीछे के दरवाज़े पर खट-खट होती है। दरवाज़ा खोल कर उसके मुँह से निकलता है, “कविता ! तुम ? आओ ।” वह तने हुए आत्मविश्वास से डग भरती कमरे की तरफ चलती है, समिधा उसके पीछे चल देती है, चौकन्नी । अभय माँ को दवाई दे रहे हैं । कविता सधी आँखों से दोनों को नमस्ते