आधा आदमी - 19

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आधा आदमी अध्‍याय-19 ज्ञानदीप पढ़ते-पढ़ते रूक गया। न जाने दीपिकामाई की डायरी का अगला पेज कहा चला गया था। उसे रह-रहकर अपने ऊपर क्रोध आ रहा था। उसने उठकर पानी पिया और खिड़की से बाहर की तरफ़ देखा, तो सरदार जी के आँगन में तेजी से नल बह रहा था। ज्ञानदीप से जब रहा नहीं गया तो उसने एक नहीं कई आवाज़ लगाई। पर उसे कोई जवाब नहीं मिला। वह बुदबुदाया, ”यहाँ मैं एक-एक बूँद पानी के लिए तरसता हूँ और इन लोगों को देखों कैसे पानी की बर्बादी कर रहे हैं। बड़े-बड़े शहरों में जाकर देखें तब पता चलें