जादूगर जंकाल और सोनपरी (10)

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जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे 10 रत्नदीप भी जादुई द्वीप था । दीप पर उतरते समय चंद्र परी साथ थी। शिवपाल ने अपने बाज को इशारा किया तो उसने एक लम्बी उड़ान भरी जिससे कि वह द्वीप के भीतर तक की खोज खबर लाकर बता सके। इधर शिवपाल ने अपने घोड़े के साथ रत्नदीप के रेतीले इलाके में चल पड़ने की तैयारी की। उसे लगा रहा था कि यहां बहुत गर्मी लगने वाली है इस लिए उसने जमीन पर फैली हुई धूल को अपने बदन पर रगड़ना शुरू किया कि उसे सूरज की तेज गर्मी न