मांजी के नाम की पाति

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फेसबुक खोलते ध्यान गया अपूर्वा का, कोई मैसेज आया था। ' मांजी, नहीं रही। ' - नील का मैसेज था।एक क्षण के लिए शून्य हो गया उसका दिमाग। वात्सल्य से भरी मांजी का चेहरा घूम गया नजरों के सामने। गांव के उस शानदार हवेली में प्रवेश करती दुल्हन अपूर्वा घानी रंग के सिल्क की भारी साड़ी और आभूषणों को संभाल रही थी और अगल बगल को भी दृष्टि से आंक रही थी। कैसा होगा ये नया घर, कैसे अपनाएंगे लोग यहां के। मन एक तरफ तो आशंकित था, दूसरी तरफ उसको विश्वास था उन बातों पर, जोकि मांजी और बाबूजी से हुई