अनजाने लक्ष्य की यात्रा पे - भाग - 21

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अब तक आपने पढ़ा... जासूस की पीठ पर वात्सल्य से हाथ फेरते हुये उसे सजा से बचाने की कोशिश करते हुये अचानक उसे षड्यंत्र पूर्वक मार दिया गया। व्यापारी यह देख विचलित हुआ। ऐसा दोहरा व्यव्हार क्यों? इस बात का रहस्य क्या था? जानें इस भाग में... अनजाने लक्ष्य की यात्रा पे... भाग-21 षड्यंत्र पर स्पष्टिकरण के बहाने प्रातः की बेला रक्तरंजित थी। जहाज़ पर हर तरफ क्षत-विक्षत मानव शरीर बिखरे पड़े थे। मानव रक्त की तो जैसे बाढ़ आ गई थी। पैर जहाँ भी रखो खून से सन जाता है। यह तो अपमान है मेरा, तुम्हारा, हर