अरे, दादा जी,आप यहां छत पर है और मैं आपको ढूंढ-ढूढकर थक गई, पूर्णिमा बोली__ क्यो,अब तुझे मुझसे क्या काम पड़ा गया, तुझे तो अपने इस बूढ़े दादा के लिए समय ही नहीं है ,मोतीलाल जी बोले__ वो क्या है ना, दादा जी पहले मैं छोटी थी तो आपके पीछे-पीछे लगी रहती थी, मेरे पास आपके लिए time ही time होता था लेकिन अब मैं बड़ी हो गई हूं, college में पढ़ने लगी हूं तो पढ़ाई का ज्यादा बोझ बढ़ गया है और अच्छे marks नहीं आयेंगे तो आपलोग ही मुझे डाटोगे। अच्छा ये सब ठीक है,बोल क्या काम है?