आधा आदमी - 18

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आधा आदमी अध्‍याय-18 ‘‘साफ-साफ क्यों नहीं कहती कि मैं गाँड़ मरवाता हूँ.‘‘ ‘‘जब करते हो तभी तो लोग कहते हैं। लोग तो यहाँ तक कहते हैं कि तुम हिजड़ा हो.’’ ‘‘अगर मैं हिजड़ा हूँ तो बच्ची कहाँ से आई?‘‘ ‘‘यह तो तुम ही जानते हो यह कहाँ से और कैसे आई, मैं तो उस दिन को कोसती हूँ जिस दिन मैंने तुम्हारे साथ फेरे लिए.‘‘ ‘‘तब काहें इहाँ मरत हव चली काहे नाय जात हव.‘‘ ‘‘चली तो जाऊँगी ही, यहाँ तुम्हारे साथ घुट-घुट के मरना थोड़े ही हैं.’’ ‘‘मादरचोद हमार खात हय अउर हमईन का आँख दिखावत हय.’’ कहकर मैंने