मेरा बचपन और ऊंट वाली तकनीक

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#Blog कल रात को ही मैं अपने गांव आया ये सोचकर कि कुछ आराम करूँगा घर जाकर, पर जब मैं यहाँ आया तो कुछ अलग ही अहसास हुआ,जिसे मैं सोचता हूँ कि हर किसी में ये एहसास भीतरी रूप से समाये होते हैं। तो, मैं बात कर रहा था उस अहसास की, अब मैं अपनी बात पर आता हूँ,, आज सुबह कुछ चिर परिचित से नजारे देखकर या यूँ कहें कि अपने बीते हुए कल से जुड़े हुए कुछ दृश्य देखकर बरबस ही बचपन की सारी यादें मानस पटल पर अठखेलियां करने लगी। क्या दिन थे वो जब हम चारो