रिसते घाव (भाग- १७)

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‘कैसी बात कर रही हो श्वेता । सबकुछ तुम्हारा ही तो है ।’ कहते हुए अमन ने दो बार खांसी खायी ।‘अमन, तुम जरुर कुछ छिपा रहे हो ? सच सच कहो क्या बात है ?’ श्वेता के चेहरे पर घबराहट छा गई । अपने आने के बाद से ही वह अमन के व्यवहार में रोज की तरह की गर्मजोशी की कमी महसूस कर रही थी ।‘कुछ खास नहीं । आज सुबह से थोड़ी तबियत ठीक नहीं लग रही है ।’ अमन जवाब देते हुए फिर से खांसी खायी । श्वेता उठकर कीचन में जाकर पानी का गिलास लेकर आ